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Tuesday, May 24, 2022

ज्ञानवापी मंदिर या मस्जिद?

sumit yaduvanshi

आइए जानते हे ज्ञानवापी मंदिर या मस्जिद:-

ज्ञानवापी का अर्थ है ज्ञान का कुआं, ज्ञानवापी एक संस्कृत शब्द है।

ज्ञानवापी मस्जिद जिसे आलमगीर मस्जिद भी कहा जाता है, यह वाराणसी मे स्थित एक मस्जिद है। यह मस्जिद, काशी विश्वनाथ मंदिर से सती हुई है। 1669 मे मुग़ल आक्रमणकारी औरंगजेब ने प्राचीन विश्वेश्वर मंदिर को तोड़ कर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण किया।

इस समय सबसे ज्यादा चर्चित यह मस्जिद सुर्खियों मे बनी हुई हे। दरअसल यह मस्जिद प्राचीन विश्वेश्वर मंदिर को तोड़ कर बनाई गई हे, इसलिए इस मस्जिद पर विवाद चल रहा हे जबकी इसकी कानूनी लड़ाई 1991 से चली आ रही हे। 1991 से इस मस्जिद को हटाकर मंदिर बनाने की कानूनी लड़ाई चल रही है। पर 2022 मे सर्वे होने के बाद ये ज्यादा चर्चा मे है। दावा किया जा रहा की मस्जिद के वाजुखाने मे 12.8 व्यास का शिवलिंग प्राप्त हुआ है जिसे छुपा दिया गया था।

काशी विश्वनाथ मंदिर और उससे सटी ज्ञानवापी मस्जिद को किसने बनवाया, इसको लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। लेकिन ठोस ऐतिहासिक जानकारी दुर्लभ है। आमतौर पर यह माना जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को मुग़ल आक्रमणकारी औरंगज़ेब ने ध्वस्त कर दिया था, और वहां एक मस्जिद का निर्माण किया। चौथी और पांचवीं शताब्दी के बीच, चंद्रगुप्त द्वितीय जिसे विक्रमादित्य के नाम से भी जाना जाता है, ने गुप्त् साम्राज्य के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर  का निर्माण करने का दावा किया है। 635 ईसा पूर्व में, प्रसिद्ध चीनी यात्री हुआन ने अपने लेखन में मंदिर और वाराणसी का वर्णन किया। ईसा पूर्व 1194 से 1197 तक, मोहम्मद गौरी के आदेश से मंदिर को काफी हद तक नष्ट कर दिया गया था, और पूरे इतिहास में मंदिरों के विध्वंस और पुनर्निर्माण की एक श्रृंखला शुरू हुई। कई हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया और उनका पुनर्निर्माण किया गया। 1669 में, मुग़ल सम्राट औरंगजेब के आदेश से, मंदिर को अंततः ध्वस्त कर दिया गया और उसके स्थान पर एक मस्जिद का निर्माण किया गया। 1776 और 1978 के बीच, इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर् ने ज्ञानवापी मस्जिद के पास वर्तमान काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया। ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज अदा करने का अधिकार स्पष्ट रूप से 15 अगस्त, 1937 को दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि ज्ञानवापी संकुल में ऐसी नमाज कहीं और नहीं पढ़ी जा सकती। 10 अप्रैल 1942 को उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा और अन्य पक्षों की अपील को खारिज कर दिया। पंडित सोमनाथ व्यास, डॉ. रामरंग शर्मा और अन्य ने ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और पूजा की स्वतंत्रता के लिए 15 अक्टूबर, 1991 को वाराणसी की अदालत में मुकदमा दायर किया। अंजुमन इंतजमिया मस्जिद और उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड लखनऊ ने 1998 में हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर कर इस आदेश को चुनौती दी थी। 7 मार्च 2000 को पंडित सोमनाथ व्यास का निधन हो गया। पूर्व जिला लोक अभियोजक विजय शंकर रस्तोगी को 11 अक्टूबर, 2018 को मामले में वादी नियुक्त किया गया था। 17 अगस्त 2021 मे शहर की 5 महिलाओं राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास, सीता साहू और रेखा पाठक ने वाराणसी सत्र न्यायलय में याचिका दायर की थी और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी का उन्हें नियमित दर्शन पूजन की अनुमति मांगी जिसके बाद मस्जिद मे सर्वे कराया गया जिसमे शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा हे, जिसकी कानूनी लड़ाई अदालत मे जारी है।

ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे:-

17 अगस्त 2021 मे शहर की 5 महिलाओं राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास, सीता साहू और रेखा पाठक ने वाराणसी सत्र न्यायलय में याचिका दायर की थी और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी की नियमित दर्शन पूजन की अनुमति मांगी थी जिसकी सुनवाई करते करते अप्रैल 2022 आ गया। 8 अप्रैल 2022 को सत्र न्यायलय ने सिविल जज सीनियर डिविजन ने वकील अजय कुमार मिश्र को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया और मस्जिद मे सर्वे करवाने की अनुमति दी जिसकी रिपोर्ट 17 मई तक दाखिल करने को कहा। जिसपर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई और हाई कोर्ट पहुंचे परंतु न्यायालय ने सर्वे पर रोक से इनकार कर दिया। 6 और 7 मई को लगभग ढाई घंटे कोर्ट कमिश्नर के नेतृत्व मे सर्वे हुआ पर 7 मई को सर्वे टीम को मुस्लिम पक्ष का विरोध देखना पड़ा जिसके कारण उस दिन सर्वे नहीं हुआ और मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट मे कोर्ट कमिश्नर को हटाने की मांग की पर कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर किया अपितु विशाल सिंह को विशेष कमिश्नर बनाया गया, जो पूरी टीम का नेतृत्व करेंगे। उनके साथ अजय प्रताप सिंह को भी शामिल किया गया और कोर्ट ने आदेश दिया था कि मस्जिद समेत पूरे परिसर का सर्वे होगा। 14 मई को कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र की अगुवाई में पहले दिन सर्वे हुआ। पहले दिन सुबह 8 बजे से 12 बजे तक सर्वे हुआ। पहले राउंड में सभी 4 तहखानों के ताले खुलवा कर सर्वे किया गया। अगले दिन 15 मई को दूसरे राउंड का सर्वे हुआ। दूसरे दिन भी चार घंटे सर्वे का काम चला, लेकिन कागजी कार्रवाई के कारण सर्वे टीम डेढ़ घंटे देर से बाहर निकली। राउंड 2 में गुंबदों, नमाज स्थल, वजू स्थल के साथ-साथ पश्चिमी दीवारों की वीडियोग्राफी हुई। मुस्लिम पक्ष ने चौथा ताला खोला। साढ़े तीन फीट के दरवाजे से होकर गुंबद तक का सर्वे हुआ। 16 मई को आखिरी दौर का सर्वे हुआ जहां 2 घंटे में सर्वे का काम पूरा कर लिया गया। इस दौरान हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी में शिवलिंग मिलने का दावा किया। इस दावे के बाद कोर्ट ने शिवलिंग वाली जगह को को सील करने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश पर डीएम ने वजु पर पाबंदी लगा दी और अब ज्ञानवापी में सिर्फ 20 लोग ही नमाज पढ़ पाएंगे। टीम ने रिपोर्ट दाखिल करने के लिए और समय मांग जिससे कोर्ट की कारवाई अगले दिन 18 मई तक टल गई। इसी बीच कोर्ट ने अजय मिश्र को कोर्ट कमिश्नर के पद से हटा दिया जिसके कारण 18 मई को न्यायलय मे हड़ताल हुई और उस दिन सुनवाई नहीं हो पाई। 19 मई को अजय मिश्र ने 6 और 7 मई को हुए सर्वे और विशाल सिंह (विशेष कोर्ट कमिश्नर) ने 14 से 16 मई के सर्वे का रिपोर्ट कोर्ट मे दाखिल कर दिया।

Thursday, August 20, 2020

Subhash Chandra Bose and Azad Hind Fauj | In Hindi & English |

sumit yaduvanshi

             सुभाष चन्द्र बोस और आजाद हिन्द फौज  





नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओड़िसा के कटक में हुआ था  सुभाष चन्द्र बोस के पिता का नाम जानकीनाथ बोस और उनकी माँ का नाम प्रभावती था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा कटक में हुई और 1909 में  रेवेनशा कॉलेजियेट स्कूल में दाखिल हुए। 1920 में इनका I.C.S में चयन हुआ था, लेकिन 1921 में गाँधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन शुरू करने पर इन्होंने नौकरी छोड़कर राजनीति में प्रवेश किया। 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने पर उन्हें सरकार ने कलकत्ता में उनके निवास स्थान पर नजर बंद कर दिया, लेकिन जनवरी 1941 में वे मौका पाकर भाग निकले। वे अफगानिस्तान होते हुए जर्मनी पहुंचे और हिटलर से मिले। इसके बाद वे जापान पहुंचे, इसी दौरान 1942 में टोकियो में रह रहे रासबिहारी बोस और कैप्टन मोहन सिंह के साथ आजाद हिन्द फौज का गठन किया। 4 जुलाई 1993 को सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर में आजाद हिन्द फौज की कमान सम्भाली और सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर में अस्थायी सरकार की स्थापना 21 अक्टूबर 1943 को की। इन्होंने सिंगापुर में "दिल्ली चलो" का नारा दिया, इन्होंने आजाद हिन्द फौज के सैनिको से कहा की "तुम मुझे खून दो मै तुम्हें अजादी दूँगा"। द्वतीय विश्व युद्ध में जापान की पराजय से आजाद हिन्द फौज को समर्पण करना पड़ा। 1945 में आजाद हिन्द फौज के समस्त सैनिकों को गिरफ्तार कर लिया गया और दिल्ली के लाल किले में इन पर मुकदमा चलाया गया। कर्नल प्रेम सहगल, कर्नल गुरुदास ढिल्लों और मेशहनवाज खां पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया, इसके पक्ष में सर तेजबहादुर सप्रू, जवाहरलाल नेहरू, भोलाभाई देसाई और कैलाश नाथ काटजू ने वकालत की।    

सी.आर फार्मूला -  

1944 में मुस्लिम लीग से समझौता करने के लिए चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने एक प्रस्ताव पेश दिया, जिसे सी.आर फार्मूला कहा जाता था

वैवल योजना - 

वायसराय लार्ड वैवल ने 1945 में भारत में संवैधानिक गतिरोध दूर करने के लिए वैवल योजना प्रस्तुत की
इस योजना के तहत वायसराय की कार्यकारिणी में भारत के सभी दलों को प्रतिनिधित्व दिया जाना था

शिमला सम्मलेन -  

वैवल योजना पर विचार करने के लिए 25 जून 1945 को शिमला में एक सम्मलेन का आयोजन किया गया
इस सम्मलेन में मौलाना अबुल कलाम आजाद को कांग्रेस पार्टी की ओर से कार्यकारणी में सम्मिलित करने का प्रस्ताव रखा। जिसका जिन्ना ने कड़ा विरोध किया, जिससे यह सम्मलेन असफल हो गया

नौसेना विद्रोह - 

फरवरी 1946 में बम्बई में नौसेना के एन.एस तलवार जहाज के कर्मचारियों ने विद्रोह कर दिया विद्रोह के प्रमुख नेता एम.एस खान थे।   
  

केबिनेट मिशन - 

भारतीय स्वतंत्रता पर भारतीय नेताओं से विचार करने के लिए 1946 में पैथिक लॉरेन्स, की अध्यक्षता में केबिनेट मिशन भारत आया। इसके दो अन्य सदस्य ए.व्ही अलेक्ज़ेडर और स्टेफोर्ड क्रिस्प थे।  
इस योजना के तहत संविधान सभा के द्वारा एक संविधान के निर्माण की बात कही गई थी। इसमें पाकिस्तान की मांग को स्वीकार नहीं किया गया था, इसलिए मुस्लिम लीग ने  पाकिस्तान की मांग के लिए 16 अगस्त 1946 को प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस के रूप में मनाया, इसके बाद देश के कई भागों में कई स्थानों पर सांप्रदायिक दंगे हुए, 3 सितम्बर 1946 को प.जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में 12 सदस्यी "अंतरिम सरकार" ने सपथ ग्रहण की। 

क्लीमेंट एटली की घोषणा -    

ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने 20 फरवरी 1947 को घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार जून 1948 से पूर्व भारत को आजाद कर देगी। 

माउन्ट बेटन योजना - 

3 जून 1947 को लार्ड माउन्ट बेटन ने अपनी योजना प्रस्तुत की, इसी योजना के आधार पर "भारतीय स्वतंत्रा अधिनियम- 1947" पारित किया गया। जिसके तहत भारत और पाकिस्तान दो स्वतंत्र राष्ट्रों का निर्माण हुआ। 
लार्ड माउन्ट बेटन स्वतंत्र भारत का प्रथम गवर्नर जनरल और प.जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री बने। 
मोहम्मद अली जिना पाकिस्तान के प्रथम गवर्नर जनरल और लियाकत अली प्रथम प्रधानमंत्री बने। 


Subhash Chandra Bose and Azad Hind Fauj





Netaji Subhash Chandra Bose was born on 23 January 1897 in Cuttack, Odisha. Subhash Chandra Bose's father's name was Jankinath Bose and his mother's name was Prabhavati. He got his primary education in Cuttack and in 1909 joined Ravensha Collegiate School. He was selected in the I.C.S in 1920, but after Gandhiji started the Non-Cooperation Movement in 1921, he quit his job and entered politics. When the Second World War started in 1939, the government stopped eyeing his residence in Calcutta, but in January 1941, he escaped with a chance. He reached Germany via Afghanistan and met Hitler. After this he reached Japan, in the meanwhile formed Azad Hind Fauj in 1942 with Rasbihari Bose and Captain Mohan Singh residing in Tokyo. On 4 July 1993, Subhash Chandra Bose commanded the Azad Hind Fauj in Singapore and Subhash Chandra Bose established a temporary government in Singapore on 21 October 1943. He gave the slogan of "Delhi Chalo" in Singapore, he told the soldiers of Azad Hind Fauj that "You give me blood, I will give you Ajadi". Due to the defeat of Japan in the Second World War, the Azad Hind Fauj had to surrender. In 1945, all the soldiers of the Azad Hind Fauj were arrested and prosecuted at the Red Fort in Delhi. Colonel Prem Sehgal, Colonel Gurudas Dhillon and Meshanwaj Khan were accused of treason, in favor of Sir Tejbahadur Sapru, Jawaharlal Nehru, Bholabhai Desai and Kailash Nath Katju.

C.R formula -


In 1944, Chakravarti Rajagopalachari proposed a proposal to compromise the Muslim League, which was called the CR formula.

Wavell Plan -


Viceroy Lord Wavell presented the Wavell Plan in 1945 to overcome constitutional deadlock in India.
All parties in India were to be represented in the Viceroy's Executive under this scheme.

Shimla Conference -


A conference was organized in Shimla on 25 June 1945 to consider the Wavell Plan.
In this conference, it was proposed to include Maulana Abul Kalam Azad in the Executive on behalf of the Congress Party. Which was strongly opposed by Jinnah, causing the conference to fail.

Royal India Navy Revolt -


In February 1946, the staff of the Naval NS Talwar ship revolted in Bombay, the main leader of the rebellion was MS Khan.

Cabinet Mission -


In 1946, Cabinet Mission under the chairmanship of Pethick Lawrence, came to India to discuss Indian independence with Indian leaders. Its two other members were AV Alexander and Stafford Crisp.
Under this plan, the Constituent Assembly had asked for the creation of a constitution. The demand of Pakistan was not accepted in this, so the Muslim League celebrated 16 August 1946 as the Direct Action Day for Pakistan's demand, followed by communal riots in many places in many parts of the country, on 3 September 1946 The 12-member "Interim Government" led by P. Jawaharlal Nehru assumed the position.

Clement Attlee's announcement - 


British Prime Minister Clement Attlee announced on 20 February 1947 that the British government would liberate India before June 1948.

Mount Baton Scheme -


On 3 June 1947, Lord Mount Baton presented his plan, on the basis of this plan, "Indian Independence Act - 1947" was passed. Under which India and Pakistan were formed two independent nations.
Lord Mount Baton became the first Governor General of independent India and Pt. Jawaharlal Nehru as Prime Minister.
Mohammad Ali Jina became the first Governor General of Pakistan and Liaquat Ali became the first Prime Minister.

Tuesday, August 18, 2020

सिन्धुघाटी सभ्यता | Indus Valley Civilization |

sumit yaduvanshi

                               सिन्धुघाटी सभ्यता 


इस सभ्यता की सर्वप्रथम खुदाई 1921 में दयाराम साहनी के नेतृत्व में पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के मांटगोमरी जिले में हड़प्पा नामक स्थान पर हुई। उसके बाद 1922 में राखलदास बनर्जी द्वारा पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में मोहन जोदड़ो नामक स्थान पर करवाई गई सिन्धुघाटी सभ्यता छेत्रफल में अपने समकालीन विश्व की सबसे बड़ी सभ्यता थी इस सभ्यता का कुल क्षेत्रफल 12, 99, 600 km² था, यह सभ्यता त्रिभुजाकार में फैली थी  इस सभ्यता का विस्तार पाकिस्तान के सिंधु, बलूचिस्तान, और पंजाब प्रान्त में तथा भारत के जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी उत्तरप्रदेश, गुजरात तथा महाराष्टृ में है इस सभ्यता को पहले सिन्धुघाटी सभ्यता या सिंधु सभ्यता कहा जाता था, अब इसे हड़प्पा सभ्यता के नाम से जाना जाता है क्योंकि इस सभ्यता की सबसे पहले खुदाई हड़प्पा में हुई थी  

                                       

                                 " सिन्धुघाटी सभ्यता का विस्तार " 

पाकिस्तान:-

ब्लूचिस्तान प्रान्त में - सुत्कांगेडोर, सुत्काकोह, डाबरकोट 

सिन्ध प्रान्त में - मोहनजोदड़ो, अलीमुरीद, कोटदीजी, चन्हूदड़ो 

पंजाब प्रान्त में - हड़प्पा 


भारत में :-

जम्मू-कश्मीर प्रान्त में - मांडा 

पंजाब प्रान्त में -   रोपड़, संघोल, बाड़ा 

हरियाणा प्रान्त में - बनवाली, राखीगढ़ी, मित्ताथल 

राजस्थान प्रान्त में - कालीबंगा, पीलीबंगा 

गुजरात प्रान्त में - लोथल, रंगपुर, भगवंतराव, सुरकोटदा 

उत्तरप्रदेश में -   आलमगीरपुर 

महाराष्टृ में - दैमाबाद   


नदियों के किनारे से  प्रमुख नगर:

मोहन जोदड़ो - सिंधुनदी 

हड़प्पा - रावी नदी 

रोपड़ - सतलज 

कालीबंगा - घंघर 

लोथल - भोगवा 

रंगपुर - मादर 

आलमगीरपुर - हिन्डन 

कोटदीजी - सिंधु 


सिन्धुघाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल : 

हड़प्पा :- यहाँ पर मजदूरों के आवस के साक्ष्य मिले R-37 नाम का कब्रिस्तान, पीतल का बना इक्का, 6-6 पंक्तियों में निर्मित कुल 12 कमरों वाले अन्नागार के अवशेष, और कुम्हारो के 14 भट्टे मिले

मोहनजोदड़ो :- मृतकों का टीला कहा गया है, यहाँ पर एक टीले पर 38 शवों को एक साथ दफनाया गया  मोहनजोदड़ो को सिंध का बगीचा भी कहा गया, यह सिंधुघाटी सभ्यता का सबसे बड़ा नगर है, खुदाई में 7 स्तर मिले, विशाल स्नानगृह मिला, इसका उपयोग किसी धार्मिक प्रयोजन के लिए होता होगा  इस सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत यहाँ का विशाल अन्नागार है कांसे की बनी नर्तकी की मूर्ति मिली, हाथी का कपाल मिला, सूती कपडे के साक्ष्य मिले जो चांदी के बर्तन पर लिपटे है, पिघले हुए ताम्बे का ढेर मिला है 

कालीबंगा :-  यहाँ काली मिट्टी कि चूड़ियां मिली है, यहाँ पर हड़प्पा पूर्व और हड़प्पा दोनों के अवशेष मिले है, हल से जुते खेत के शाक्ष्य मिले है कालीबंगा में मकानों के फर्श अलंकृत है 

लोथल :-


लोथल के पूर्वी भाग में बन्दरगाह स्थित है फारस की मोहर मिली है, चावल के शाक्ष्य मिले है, घोड़े की मूर्तियां मिली है 

बनवाली :- बनवाली हरियाणा के हिसार जिले में सरस्वती नदी के किनारे स्थित था, मिट्टी के बने हल का खिलौना मिला, तिल, सरसो आदि फसले मिली

चन्हूदड़ो :- यहाँ नगर मोहनजोदड़ो से 130 km धकशीद में स्थित हे बैलगाड़ी के शाक्ष्य मिले 

रंगपुर :- गुजरात में अहमदाबाद जिले के मदार नदी के किनारे है 

सुरकोटदा :- यह गुजरात के कच्छ जिले में स्थित है  यहाँ से हड़प्पा सभ्यता के पतन के अवशेष मिलते है, यहाँ से घोड़े की हड्डियों  अवशेष मिले है

कोटदीजी :- यह पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में खैरपुर नामक स्थान पर स्थित है 

आलमगीरपुर :- यह उत्तरप्रदेश के मेरठ जिले में हिन्डन नदी के किनारे स्थित है 

धौलावीरा :-


गुजरात के कच्छ जिले में स्थित है 


                      " सिन्धुघाटी सभ्यता की विशेषताएँ "


सिन्धुघाटी सभ्यता कांस्ययुगीन सभ्यता थी  इस सभ्यता के लोग तांबा और टिन को मिलाकर कांसा बनाना सीख गए थे सिन्धु घाटी सभ्यता नगरीय सभ्यता थी  सिंधु घाटी सभ्यता के नगर नियोजित तरीके से बसाए गये थे  सिंधुघाटी सभ्यता में सड़के कच्ची होती थी जो एक दूसरे को समकोण पर काटती थी  सड़को के दोनों ओर पक्की ईटों द्वरा नालियों का निर्माण किया जाता था जाता था  नालियों को पत्थर या लकड़ी द्वारा ढक दिया जाता था  यहाँ के लोग सफाई ओर स्वास्थय का विशेष ध्यान रखते थे  घरो के खिड़की दरवाजे सड़क की ओर न खुलकर पीछे गली की ओर खुलते थे सिंधु घाटी सभ्यता में मकान बनाने के लिए पक्की इंटो का प्रयोग किया जाता था 

सामाजिक स्थिति :- सिन्धु घाटी सभ्यता में समाज जाति-व्यवस्था पर आधारित नहीं था बल्कि समाज वर्ग व्यवस्था पर आधारित था समाज चार वर्गों में बटा था - पुरोहित वर्ग, सैनिक, व्यापारी, शिल्पकार, श्रमिक, कृषक 

आर्थिक स्थिति :- इस सभ्यता के लोग कृषि, पशुपालन, उधोग धंदे और व्यापर करते थे ये लोग लकड़ी के हल से खेत जोतकर कृषि कार्य करते थे इस सभ्यता के लोग गेंहू, जौ, मटर, सरसों, चावल, तिल, कपास, बाजरा, तरबूज और खरबूज की खेती करते थे 

पशुपालन :- बैल, भेड़, बकरी, भैंस, गाय, सुअर, कुत्ते और गधे पालते थे प्रारम्भ में घोड़े के साक्ष्य नहीं मिले पर बाद में लोथल और रागपुर से घोड़े की मृण्मूर्तियां और सुरकोटदा से घोड़े का कंकाल मिला 

उधोग धन्दे :- इस सभ्यता में कताई बुनाई का व्यवसाय प्रमुख था  सूती और ऊनी कपडे बनाये जाते थेकुम्हार चाक के प्रयोग से बर्तन बनाते थे 

व्यापार :- इस सभ्यता  के लोग देश के अंदर और विदेशो के साथ व्यापार करते थे, यह जल और स्थल दोनों मार्गो से व्यापर करते थे

                   " विभिन्न छेत्रो से आयात की वस्तुएँ "


चांदी - ईरान, अफगानिस्तान 

सोना - राजस्थान के खेतड़ी से 

तांबा - राजस्थान के खेतड़ी से 

टिन - अफगानिस्तान, ईरान 

सेलखड़ी - बलूचिस्तान, राजस्थान 

संगमरमर - राजस्थान 

धार्मिक स्थिति - इस सभ्यता के लोग मूर्ति पूजा करते थे लेकिन इस सभ्यता से कही से भी मंदिर के साक्ष्य नहीं मिले  इस सभ्यता में लोग मातृदेवी की पूजा करते थे 

राजनीतिक स्थिति :-  इस सभ्यता में राजमहलों और दुर्गो के मिलने से अनुमान लगाया जाता है कि यहां कोई शासक वर्ग अवस्य था सत्ता किसके हाथ में थी यह स्पस्ट नहीं था 

सिन्धु घाटी सभ्यता के निर्माता - सबसे अधिक कंकाल भूमध्यसागरीया लोगो के मिले  इसलिए इन्हे सिन्धु  सभ्यता का  निर्माता  है 

सिन्धु घाटी  लिपि - इस लिपि को अभी तक नहीं पढ़ा गया है, यह लिपि दांये से बांये ओर लिखी जाती थी,  इस लिपि के 400 चिन्ह प्राप्त हुए है 

सिन्धु सभ्यता की मोहरे :- मोहरों का निर्माण अधिकतम सेलखड़ी से हुआ है मोहरों में  ज्यादा एक सींग वाला बैल अंकित है

सिन्धु सभ्यता  मूर्तियां :- मूर्तियां, पत्थर, धातु और मिट्टी की बनी हुई थी मोहनजोदड़ो से सेलखड़ी की मूर्ति प्राप्त हुई है मोहनजोदड़ो से कांसे की बनी 14  CM ऊँची नृत्य करती हुई स्त्री की मूर्ति मिली 

सिन्धु सभ्यता का पतन :- सिन्धु घाटी सभ्यता के पतन के लिए के लिए कोई एक निश्चित कारण नहीं बताया जा सकता विभिन्न इतिहासकारो ने इसके अलग-अलग कारण बताये 

जॉन मार्शल और अर्नेस्ट मैके ने बाढ़ का कारण बताया 

मार्टिन व्हीलर और गार्डन चाइल्ड चाइल्ड के अनुसार, यह सभ्यता विदेशी आक्रमण से समाप्त हुई


Sunday, August 16, 2020

The world's major natural lakes

sumit yaduvanshi

                  The World's Major Natural Lakes


  Baikal lake:


 It is considered among the world's clearest lakes and is considered the world's oldest lake. Lake Baikal is the deepest lake which is 5315 feet   It is the seventh largest lake in the world by surface area. with a surface area of 31,722 km² (12,248 sq mi)   located in southern Siberia, Russia.


  Caspian sea:


The Caspian Sea is the world's largest inland body of water, the world's largest lake  located between Europe and Asia  The sea has a surface area of 371,000 km² (143,200 sq mi). It is bounded by Kazakhstan to the northeast, Russia to the northwest, Azerbaijan to the west, Iran to the south, and Turkmenistan to the southeast.


  Superior lake:



Lake Superior is the largest of the Great Lakes of North America, the world's largest freshwater lake by surface area, Lake Superior has a surface area of 82,103 km², (31,700)square miles.


  Victoria lake:



The surface area of Victoria lake is  approximately 59,947 square kilometres (23,146 sq mi),and the world's second largest fresh water lake by surface area after Lake Superior. The lake was named after Queen Victoria. The lake's area is divided among three countries: Kenya, Uganda, and Tanzania.


  Lake Michigan:



Lake Michigan is one of the five Great Lakes of North America. Michigan is the  third largest lake by surface area 58,030 km² (22,404 sq mi), after Lake Superior and Lake Huron. Lake Michigan is the only one of the Great Lakes located in the territory of the United States.


  Nyasa lake(Malawi):



Lake Malawi is the fourth largest fresh water lake in the world by volume and the ninth largest lake in the world by area  and the second deepest lake and third largest lake in Africa. Lake Malawi is between 560 kilometres (350 mi) and 580 kilometres (360 mi) long,The lake has a total surface area of about 29,600 square kilometres (11,400 sq mi).



      Lake Balkhash:



Lake Balkhash is that the fifteenth largest lake within the world. And one in all the most important lake in Asia. It is located in Central Asia in southeastern Kazakhstan. The extent of Balkhash lake is regarding 16,400 km² (6,300 sq mi). The western a part of Balkhash lake is fresh water and whereas the eastern part  of lake is saline water.


  Arebian sea:



The Arabian Sea's surface area is about 3,862,000 km² (1,491,130 sq mi) The Arabian Sea is a region of the northern Indian Ocean bounded on the north by Pakistan and Iran


  Lake Erie:



Lake Erie is the fourth-largest lake by surface area and the five Great Lakes in North America, and the eleventh-largest globally if measured in terms of surface area.Situated on the International Boundary between Canada and the United States, It has a surface area of 9,990 square miles (25,874 km²)


  Great Slave Lake:



Great Slave Lake is the second-largest lake in the Northwest Territories of Canada (after Great Bear Lake), and the tenth-largest lake in the world.The surface area of Great Slave lake is about  27,200 km² (10,502 sq mi).


  Lake Ontario:



Lake Ontario is one of the greatest Lakes of North America. Lake Ontario is the easternmost of the Great Lakes and the smallest in surface area (7,340 sq mi), 18,960 km². It is located in United States Of America and surface of Canada.


  Lake huron:



Lake Huron is one among the five Great Lakes of North America. By surface area Lake Huron is the second-largest of the Great Lakes, with a surface area of 23,007 square miles (59,590 km²) the third-largest fresh water lake on Earth. 



  Lake Tanganyika:



Lake Tanganyika is that the second oldest freshwater lake within the world. The second largest by volume  and also the second deepest,  after the Lake Baikal. It is the world's longest freshwater lake.The lake is located in Tanzania, Burundi, and Zambia.


  Lake Titicaca:



Lake Titicaca is a large and deep  freshwater lake in the Andes on the border of Bolivia and Peru, often called the "highest navigable lake" in the world. Lake Titicaca has a surface area of lake Titicaca is about 8,372 km².



  Chilika Lake:



Chilika lake is located in Odisha state on the east coast of India, and the second largest brackish water lagoon in the world 1,165 km².The surface area of Chilika lake is about 1,165 km².



  Lake Chad :




Lake Chad is a historically large, shallow, endorheic lake in Africa, The area of Chad lake is 1,350 km². Lake Chad is located in the far west of Chad and also the northeast of African country Nigeria

 


Monday, August 10, 2020

New 7 Wonders Of The World

sumit yaduvanshi

New 7 Wonders Of The World





The great Wall of China : (China)





 The fortification is the collective name of a series of systems that are usually built across the historic northern borders of China to protect and consolidate empires against Chinese states and various nomadic groups. Many walls were built by the ancient Chinese states as early as the 7th century BC. The select portions were later joined together by Qin Shi Huang (220–206 BCE), the first emperor of China. The most famous sections of the wall were built by the Ming Dynasty (1368–1644).
The survey found that the entire wall with all its branches was 21,196 km (13,171 mi).


Petra : (Ma'an, Jordan)







Petra originally known to its inhabitants as Raqmu, Petra, a historical and archaeological city in southern Jordan, is located in a basin surrounded by mountains around Jabal al-Madab, forming the eastern coast of the Arabian Valley. Which runs from the Dead Sea to the Gulf of Aqaba. The area around Petra is already inhabited as early as 7000 BC.


Colosseum : (Rome, Italy)




The Colosseum also known as the Flavian Amphitheater Rome, Italy city center. It was the largest amphitheater built at that time and had 50,000 to 80,000 spectators. The Colosseum is located to the east of the Roman Forum. Construction began in AD 72 under Emperor Vespasian and was completed in 80 CE under his successor and Titus. Further amendments were made during the reign of the Dominitian (81–96). These three emperors are known as the Flavian dynasty, and the amphitheater was named in Latin to associate with their family name (Flavius).

Although largely ruined by earthquakes and rock-robbers, the Colosseum is still an iconic symbol of Imperial Rome and listed as one of the New 7 Wonders of the world.


Chichen Itza : (Yucatan, Maxico)






Chichen Itza was a large pre-Colombian city built by the Mayan people in the Terminal Classic period. Chichen Itza is located in Tinum Municipality, Yucatan State, Mexico.

Chichen Itza via the Terminal Classic (c. E. 800–900) was a major focal point from the Late Classic (c. AD 600–900) in the northern Maya Terai regions. And in the early part of the Postclassic period (c. E. 900–1200). Chichen Itza is one of the most visited archaeological sites in Mexico.


Machu picchu : (Cuzco Region, Peru)





Machu Picchu is a 15th-century Inca stronghold located in the eastern Cordillera of southern Peru, perched on a hillside of 2,430 meters (7,970 ft). It is located atop the Holy Valley, Cusco region, Urubamba province, Machupichu district, 80 kilometers (50 mi) northwest of Cuzco. The Urubamba River crosses it, cuts through the Cordillera and forms a valley with a tropical mountainous climate. Most archaeologists believe that Machu Picchu was built as an asset to the Inca emperor Pachai (1438–1472). Often mistakenly known as the "Lost City of the Incas", it is the most familiar icon of the Inca civilization. The Incas built the property around 1450 but later abandoned it a century later at the time of the Spanish conquest. Although known locally, it was not known to the Spanish during the colonial period and remained unknown to the outside world until the American historian Hiram Bingham brought it to international attention in 1911. Machu Picchu is one of the 7 wonders, and it  was built in the classical Inca style, with polished dry stone walls. Its three primary structures are Etihuatana, the Temple of the Sun and the chamber of three windows.



Taj Mahal : (Agra, India)





There is an white marble mausoleum on the southern bank of the river Yamuna in the Indian city of Agra.

It was commissioned in 1632 by the Mughal emperor Shah Jahan (ruled from 1628 to 1658) for the tomb of his favorite wife Mumtaz,  Mumtaz Mahal; It also has the tomb of Shah Jahan himself. The mausoleum is the centerpiece of the 17-hectare (42-acre) complex, which includes a mosque and a guest house, and is set in formal gardens bounded on three sides by a formal wall. Construction of the tomb was essentially completed in 1643, but work continued for the next 10 years in other phases of the project. The complex of the Taj Mahal  have been completed in 1653 at a cost of about 32 million rupees, which would be around 70 billion rupees now, (about  916 million US $) in 2020. The construction project employed some 20,000 artisans under the guidance of a board of architects led by court architects for the Ustad Ahmad Lahori.



Christ the redeemer : (Rio de Janeiro, Brazil)






Christ the Redeemer (Portuguese: Christo Ridentore, Standard Brazilian Portuguese: Rio de Janeiro, is an art deco statue of Jesus Christ in Brazil, built by the French sculptor Paul Landowski. Brazilian engineer Heiter da Silva in collaboration with French engineer Albert Cacot Costa. Romanian sculptor Gheorghe Leonida fashioned the face. Built between 1922 and 1931, the statue is 30 meters (98 ft) high, except for its 8-m (26 ft) walkway. Weapons 28 m (92 ft) ) Wide. The statue weighs 635 metric tons (625 tall, 700 short tons), and is located on the summit of the 700-meter (2,300 ft) Corcovado Mountains in Tijuca Forest National Park, located above the city of Rio Janeiro. A symbol of Christianity throughout, the statue has also become a cultural symbol of both Rio de Janeiro and Brazil, and is listed as one of the New 7 Wonders of the world.



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Sunday, August 2, 2020

Mughals were good or bad rulers?

sumit yaduvanshi

Mughals were good or bad rulers?


The Mughal word is derived from Mongol and Mongolian, which is Persian: related to Mongol Empire Genghiz Khan.

First we know about the Mughal Emperors:






1. Zahir-ud-din Muhammad is originally known as Babur. Babur was born on 14 February 1483 in Uzbekistan.He was the founder of the Mughal Empire,Babur's reign lasted from April 1526 to December 1530.And he died at the age of 47 on 26 december 1530.




2. Nasir-ud-din Muhammad which is basically known as Humayun.He was the second emperor of Mughal empire.He was born on 6 march 1508.Humayun's reign lasted from 26 December 1530 – 17 May 1540 and after 22 February 1555 – 27 January 1556.He died on 27 January 1556.



3. Jalal-ud-din Muhammad which is known by the name of Akbar.He was born on 14 October 1542,His mother was Hamida banu , Akbar ruled the most than ohers: 27 January 1556 – 27 October 1605. He died on 27 October 1605 at the age of 63 years.



4. Nur-ud-din Muhammad Salim which is known by the name of Jahangir His mother was Rajput princess. He was born on 20 September 1569.Jahangir reign lasted from 15 October 1605 – 8 October 1627.He died at the age of 60 on 28 October 1627.



5. Shahab-ud-din Muhammad Khurram known by the name of Shah-Jahan.He was born on 5 January 1592. Shah-Jahan ruled 8 November 1627 to 2 August 1658. Taj mahal was built by Shah-Jahan,His mother was also Rajput princess.He died at the age of 74 on 22 January 1666.



6. Muhy-ud-din Muhammad known by the name of Alamgir I or Aurangzeb.He was born on 4 November 1618.  he was very cruel mughal emperor. Aurangzeb reign till 31 July 1658 to 3 March 1707, He ruled 48-49 years. After the death of Aurangzeb, the Mughal Empire became weak.He died on 3 March 1707 at the age of 88 years.

7. Qutb-ud-Din Muhammad Mu'azzam Shah Alam known by Bahadur Shah.He was born on 14 October 1643 and died on 27 February 1712.

8. Mu'izz-ud-Din Jahandar Shah Bahadur(Jahandar Shah) born on 9 May 1661 and died on 12 February 1713.

9. Farrukhsiyar he was born on 20 August 1685 he ruled only 6 years and died on 29 April 1719 .

10. Rafi ud-Darajat he was born on 30 November 1699 and died in early age on 9 June 1719 at the age of 19 years.

11. Rafi ud-Daulah June 1696 - September 1719.

12. Roshan Akhtar Bahadur(Muhammad Shah) 17 August 1702 - 26 April 1748.

13. Ahmad Shah Bahadur 23 December 1725 - 1 January 1775.

14. Aziz-ud-din(Alamgir II) 6 June 1699 - 29 November 1759.

15. Muhi-ul-millat(Shah Jahan III) 1711 - 1772.

16. Ali Gauhar(Shah Alam II) he was born on 25 June 1728. He ruled 46 years 10 October 1760 – 19 November 1806. He defeat in the Battle of Buxar.And died in 19 November 1806 at the age of 78 years.

17. Bidar Bakht(Muhammad Shah Bahadur Jahan IV) 1749-1790
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18. Mirza Akbar(Akbar Shah II) 22 April 1760-28 September 1837.He ruled 19 November 1806 – 28 September 1837.



19. Abu Zafar Sirajuddin Muhammad Bahadur Shah Zafar(Bahadur Shah II) He was born on 24 October 1775.He was the Last Mughal Emperor.He deposed by the British and was exiled to Burma after the Indian Rebellion of 1857. He ruled 28 September 1837 to 23 September 1857, and died at the age of 87 years on 7 November 1862.

Mughals were good or bad:


The Mughals ruled for many years, but they demoralized the Hindu culture, if they talked about their religion, they considered it higher than every religion.They broke many Hindu temples and looted them they killed many innocent people, they used to kill anyone to get his fame.They ruled India for so many years because many Rajput warriors were with him, if the Rajput warriors did not support them, the Mughals would not be able to survive here.If we talk about his being good or bad then it will be difficult to say because when he entered India, we can say that he was very cruel But there were some changes over time and later. Mughal ruler Akbar married a Rajput princess and Akbar's boy Jahangir was also married to a Rajput princess.We cannot say that he was good or bad because everyone's opinion is different. In the Mughal Empire, we can just call Akbar properly because his reign most of the people who supported him were Rajputs. According to the history Aurangzeb was the most cruel king in Mughal emperors and Akbar is considered as the best ruler of the Mughal Empire he was the son of Humayun and grandson of Babur.We can say this in a simple way that neither they were good ruler nor bad ruler.


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मुग़ल अच्छे या बुरे शासक थे?



मुग़ल शब्द मंगोल और मंगोलियन से लिया गया है, जो फ़ारसी: मंगोल साम्राज्य गेंजेज़ खान से संबंधित है।

पहले हम मुगल सम्राटों के बारे में जानते हैं:





1. ज़हीर-उद-दीन मुहम्मद मूल रूप से बाबर के रूप में जाने जाते हैं। बाबर का जन्म 14 फरवरी 1483 को उजबेकिस्तान में हुआ था। वह मुग़ल साम्राज्य के संस्थापक थे, बाबर का शासन अप्रैल 1526 से दिसंबर 1515 तक रहा था। और उनकी मृत्यु 26 दिसंबर 1530 को 47 साल की उम्र में हो गई ।





2. नासिर-उद-दीन मुहम्मद जिसे मूल रूप से हुमायूँ के नाम से जाना जाता है। वह मुग़ल साम्राज्य का दूसरा सम्राट था। उसका जन्म 6 मार्च 1508 को हुआ था। हुमायूँ का शासनकाल 26 दिसंबर 1530 - 17 मई 1540 तक चला और 22 फरवरी 1555 से  - 27 जनवरी 1556 तक चला । उनकी मृत्यु 27 जनवरी 1556 को हुई।





3. जलाल-उद-दीन मुहम्मद जिसे अकबर के नाम से जाना जाता है। उनका जन्म 14 अक्टूबर 1542 को हुआ था, उनकी मां हमीदा बानू थीं, अकबर ने ओर शासकों से अधिक शासन  किया: 27 जनवरी 1556 - 27 अक्टूबर 1605। उनकी मृत्यु 27 अक्टूबर 1605 को 63  वर्ष की आयु में हो गई ।





4. नूर-उद-दीन मुहम्मद सलीम जिसे जहाँगीर के नाम से जाना जाता है उसकी माँ राजपूत राजकुमारी थी। उनका जन्म 20 सितंबर 1569 को हुआ था। जहाँगीर का शासनकाल 15 अक्टूबर 1605 से 8 अक्टूबर 1627 तक रहा था। उनकी मृत्यु 60 वर्ष की आयु में 28 अक्टूबर 1627 को हुई थी।





5. शाह-जहान के नाम से जाने जाने वाले शहाब-उद-दीन मुहम्मद खुर्रम का जन्म 5 जनवरी 1592 को हुआ था। शाह-जहाँ ने 8 नवंबर 1627 से 2 अगस्त 1658 तक शासन किया। ताजमहल का निर्माण शाह-जहाँ ने किया था, उनकी माँ  राजपूत राजकुमारी थी । उनका 22 नवंबर 1666 को 74 वर्ष की आयु में निधन हो गया।





6. मुहा-उद-दीन मुहम्मद जिसे आलमगीर I या औरंगजेब के नाम से जाना जाता था। उनका जन्म 4 नवंबर 1618 को हुआ था। वह बहुत क्रूर मुगल बादशाह थे। औरंगजेब ने 31 जुलाई 1658 से 3 मार्च 1707 तक शासन किया, उन्होंने 48-49 वर्षों तक शासन किया। औरंगजेब की मृत्यु के बाद, मुगल साम्राज्य कमजोर हो गया। उसकी मृत्यु 88 वर्ष की आयु में 3 मार्च 1707 को हुई।

7. कुतुब-उद-दीन मुहम्मद मुअज्जम शाह आलम जिसे बहादुर शाह के नाम से जाना जाता है। उनका जन्म 14 अक्टूबर 1643 को हुआ था और 27 फरवरी 1712 को उनका निधन हो गया था।

8. मुइज़-उद-दिन जहाँदार शाह बहादुर (जहाँदार शाह) का जन्म 9 मई 1661 को हुआ था और मृत्यु 12 फरवरी 1713 को हुई थी।

9. फर्रुखसियर उनका जन्म 20 अगस्त 1685 को हुआ था, उन्होंने केवल 6 साल शासन किया और 29 अप्रैल 1719 को उनकी मृत्यु हो गई।

10. रफ़ी उद-दरज़ात का जन्म 30 नवंबर 1699 को हुआ था और 19 वर्ष की आयु में 9 जून 1719 को कम उम्र में उनकी मृत्यु हो गई थी।

11. रफ़ी उद-दौला जून 1696 - सितंबर 1719।

12. रोशन अख्तर बहादुर (मुहम्मद शाह) 17 अगस्त 1702 - 26 अप्रैल 1748।

13. अहमद शाह बहादुर 23 दिसंबर 1725 - 1 जनवरी 1775।

14. अजीज-उद-दिन (आलमगीर II) 6 जून 1699 - 29 नवंबर 1759।

15. मुही-उल-मिलत (शाहजहाँ तृतीय) 1711 - 1772।

16. अली गौहर (शाह आलम द्वितीय) उनका जन्म 25 जून 1728 को हुआ था। उन्होंने 46 साल 10 अक्टूबर 1760 - 19 नवंबर 1806 तक शासन किया। वह बक्सर के युद्ध में हार गए। और 19 नवंबर 1806 को 78 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई।

17. बीदर बख्त (मुहम्मद शाह बहादुर जहान IV) 1749-1790।

18. मिर्ज़ा अकबर (अकबर शाह द्वितीय) 22 अप्रैल 1760-28 सितंबर 1837।उन्होंने 19 नवंबर 1806 - 28 नवंबर 1837 तक शासन किया।






19. अबू ज़फर सिराजुद्दीन मुहम्मद बहादुर शाह ज़फ़र (बहादुर शाह II) उनका जन्म 24 अक्टूबर 1775 को हुआ था। वे अंतिम मुग़ल सम्राट थे। उन्हें अंग्रेज़ों ने अपदस्थ कर दिया था और 1857 के भारतीय विद्रोह के बाद बर्मा में निर्वासित कर दिया गया था। उन्होंने 28 सितंबर 1837  से 23 सितंबर 1857 तक शासन किया , और 7 नवंबर 1862 को 87 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई।


मुग़ल अच्छे थे या बुरे:



मुगलों ने कई वर्षों तक शासन किया, लेकिन उन्होंने हिंदू संस्कृति को ध्वस्त कर दिया, अगर उनके धर्म के बारे में बात करते हैं, तो वे इसे हर धर्म से ऊंचा मानते हैं। उन्होंने कई हिंदू मंदिरों को तोड़ा और उन्हें लूट लिया उन्होंने कई निर्दोष लोगों की हत्या की, वे अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए किसी को भी मार देते थे। उन्होंने इतने सालों तक भारत पर शासन किया क्योंकि कई राजपूत योद्धा उनके साथ थे, अगर राजपूत योद्धाओं ने उनका समर्थन नहीं किया होता , तो मुग़ल यहाँ कुछ समय टिक पाते। अगर हम उनके अच्छे या बुरे होने की बात करें तो यह कहना मुश्किल है क्योंकि जब उन्होंने भारत में प्रवेश किया, तो हम कह सकते हैं कि वह बहुत क्रूर थे लेकिन समय के साथ और बाद में कुछ बदलाव हुए। मुगल शासक अकबर ने एक राजपूत राजकुमारी से शादी की और अकबर के लड़के जहाँगीर ने भी एक राजपूत राजकुमारी से शादी की थी। हम यह नहीं कह सकते कि वह अच्छा था या बुरा, क्योंकि सभी की राय अलग है। मुगल साम्राज्य में, हम सिर्फ अकबर को ठीक से बुला सकते हैं क्योंकि उनके शासनकाल में ज्यादातर लोगों ने उनका समर्थन किया था जो राजपूत थे। इतिहास के अनुसार औरंगज़ेब मुगल सम्राटों में सबसे क्रूर राजा था और अकबर को मुग़ल साम्राज्य का सबसे अच्छा शासक माना जाता है वह हुमायूँ का बेटा और बाबर का पोता था। हम इसे सरल तरीके से कह सकते हैं कि न तो वह अच्छे शासक थे और न ही वह बुरे शासक थे।


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  • Syed Faizan AliMaster / Computers
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